Wednesday, March 17, 2010
सब माया है
सब माया है
दलितों की मसीहा उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती....देश में दलितों की स्थिति से सब वाकिफ हैं....कई दलित जाति के लोगों पर तन ढकने तक के लिए कपड़े नहीं है और उनकी मसीहा के पास इतना पैसा है कि वो करारे-करारे नोटों का हार धारण कर रही हैं....हैरानी की बात ये है कि मायावती के इस रुप पर जहां कई लोग बौखलाए हुए हैं, हल्ला मचा रहे हैं....मायावती की निंदा कर रहे हैं....वहीं एक दलित से अगर मायावती के इस चरित्र के बारे में बात की जाए तो वो फख्र के साथ अपनी मसीहा के रुतबे की तारीफ करेगा....उसे ये बताते हुए फख्र होगा कि मायावती गले में नोटों का हार पहन रही हैं....सोचने वाली बात ये है कि आखिर ऐसा क्यूं है....कि खुद अपने तन ढकने के लिए कपड़े नहीं है....खाने के लिए दो जून की रोटी तक मयस्सर नहीं है वहीं मायावती के गले में पड़ा नोटों का हार देखकर एक दलित को खुशी मिलती है....इसके कारणों को खोजने की कोशिश की जाए तो भारत के इतिहास पर नजर डालनी पड़ेगी....जहां हमेशा इस तबके को घृणा और तिरस्कार की नजरों से देखा जाता रहा है....इन्हें अछूत समझकर इनका शोषण किया जाता रहा है....इन्हें नीच की संज्ञा दी जाती रही है....ऐसे में उनकी जाति का प्रतिनिधित्व करने वाली एक महिला जब इस मुकाम को हासिल करती है तो एक दलित का खुश होना लाजिमी है....वो मायावती को पूरे दलित समाज का मुखिया मानता है और जब लोग मायावती का गुणगान करते हैं तो उसे खुशी मिलती है....यही कारण है कि मायावती का वोट बैंक पूरी तरह सुरक्षित है....उसमे सेंध लगा पाना हर किसी के बस की बात नहीं....ज्यादातर दलितों का वोट हाथी के निशान पर ही बटन दबाता है....और बीएसपी का बढ़ता दायरा उसी दलित के वोट का नतीजा है....
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