Monday, November 24, 2008

न्यूज चैनल कार्यक्रम को िकस तरह खींचते हैं, अगर आपने स्टार न्यूज का कार्यक्रम कौन बनेगा मुख्यमंत्री कार्यक्रम देखा हो तो आप आसानी से इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं। प्रोग्राम के संचालक दीपक चौरसिया जी ने िजस खूबसूरती के साथ पूरी िदल्ली की समस्याओं को एक नयी दुल्हन के श्रंगार में ढक िदया ये देखने वाली बात थी। दीपक जी ने दुल्हन रािगनी को िदल्ली की एक आम महिला बताकर उनकी समस्याओं की िबसात बैठा दी और उसी पर पूरे एक घंटे का कार्यक्रम खींच िदया गया। िजस रािगनी को केन्द्र में रखकर िदल्ली के आम लोगों की समस्याओं पर एक घंटे तक चर्चा की गई, वो िदल्ली के एक अिभजात्य वर्ग की महिला थी, जो एसी के घर में सोते हैं और एसी की गाड़ी में सफर करते हैं उन्हें इस बात का क्या एहसास होगा िक एसी के बाहर की हवा कैसी है।
पत्रकािरता जगत का मक्का समझे जाने वाले भारतीय जनसंचार संस्थान में 25 और 26 नवंबर को एक सांस्कृितक कार्यक्रम का आयोजन िकया गया। इस आयोजन में करीब 7 से लेकर 8 लाख रूपए पानी में बहा िदए गए। खैर इसे छोिड़ए। कार्यक्रम के िदन एक ऐसी घटना घटी िजसने हमें ये सब िलखने के िलए प्रेिरत िकया। हुआ कुछ यूं िक कुछ लोगों को संस्थान के गेट पर िसक्युिरटी के उद्देश्य से खड़ा िकया गया था। तभी संस्थान के िहन्दी पत्रकािरता के कुछ छात्र गेट पर आये। उनसे उन लोगों ने आई कार्ड मांगा और उनके बैग चेक िकए। कारण बताया गया िक हो सकता है िक हमारे बैग में िसगरेट और शराब हो। जब इस बात की िशकायत की गई तो उसका कुछ नहीं हुआ और कहा गया िक ये िसक्युिरटी की बात थी। यहां पर सवाल ये उठता है िक क्या एक संस्थान को अपने छात्रों पर भरोसा नहीं होना चािहए।

Sunday, October 12, 2008

अभी हाल ही में जेएनयू में गरीबी पर एक अंतर्रा़ष्टीय सेिमनार का आयोजन िकया गया। इस सेिमनार पर काफी पैसा खर्च हुआ, लेिकन मुझे लगता है िक इस तरह के सेिमनार आयोिजत करने का क्या फायदा है िजसके बारे में सोचने के िलए ये सेिमनार आयोिजत िकए जाते हैं वो तो वहीं का वहीं हैं।

उन्हीं लोगों के िलए ये चार लाइनें

जब रात यहां पर होती है,
जब सारी िदल्ली सोती है,
एक तबका बसता है यहां,
िजसकी चादर छोटी है,
सर ढके या पैर ढके,
सारी रात ये दुिवधा होती है,
सारी रात ये दुिवधा होती है।