Tuesday, February 24, 2009

सूरजकुंड मेले का एक रंग ये भी

सूरजकुण्ड मेलाः- एक रंग ऐसा भी
बड़ी उम्मीद के साथ मैं सूरजकुण्ड में आया था। मैं अपना हुनर लोगों के सामने पेश करना चाहता था¸ लेकिन मेरी सारी उम्मीदों पर पानी फिर गय़ा। ये कहते हुए सोहन मिश्रा की आंखों में आंसू झलक आते हैं।
बिहार के दरभंगा से¸ हरिय़ाणा के सूरजकुण्ड मेले में आया सोहन¸लोगों को अपनी कला का जौहर दिखाना चाहता था। लेकिन उसके सारे सपने दिल्ली पहुंचकर बिखर गये। दरअसल सोहन एक चित्रकार है। सोहन के हाथों में ऐसा जादू है¸ कि वो अपने रंगों से किसी भी तस्वीर में जान फूंक देता है। अपनी चित्रकला के प्रदर्शन के लिए ही सोहन मेले में शिरकत करने आय़ा था। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर उतरकर¸जब सोहन मेले में आने के लिए ऑटो में बैठा¸ तो शाय़द वो इस बात से अंजान था कि आगे उसके साथ क्य़ा होने वाला है।
ऑटो वाले ने सोहन को एक सुनसान रास्ते पर जाकर उतार दिय़ा और उसका सामान लेकर भाग गय़ा। सोहन ने उसके साथ जोर-जबरदस्ती की तो उसे इतना मारा कि वो बेहोश हो गय़ा। सोहन को जब होश आया तो वो अस्पताल के बैड पर था। ऑटो वाले ने सामान के साथ-साथ सोहन की घड़ी और पर्स तक छिन लिय़ा था।
"मैं बहुत डरा हुआ था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्य़ा करूं, कहां जाऊं।" सड़क किनारे बैठा सोहन य़े सोच ही रहा था कि अचानक उसे एक बस आती दिखी। बस के आगे सूरजकुण्ड मेले का बैनर लगा हुआ था। सोहन ने बस में सवार लोगों से मदद मांगी और सूरजकुण्ड मेले में आ पहुंचा। मेले में सोहन को उसके प्रदेश से आय़े साथी कलाकार मिल गय़े। फिलहाल सोहन उन्हीं के साथ य़हां रुका हुआ है।
मेले में हजारों की भीड़ में भी सोहन अकेला है। सोहन पूरा दिन एक पेड़ के नीचे बैठकर उपन्यास पढ़ता रहता है। शाय़द सोहन ने य़ह सपने में भी न सोचा होगा कि सूरजकुण्ड मेले का रंग उसकी जिंदगी को बेरंग कर जाय़ेगा।

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