Sunday, July 11, 2010

धर्म का धंधा


धर्म का धंधा

धर्म, एक ऐसी चीज जो इस देश में सबसे ज्यादा बिकती है...मैं यहां सिर्फ न्यूज चैनल्स के संदर्भ में ही बात कर रहा हूं...आपने अगर कभी गौर किया हो तो आपको हर समाचार चैनल पर धर्म से जुड़ा एक कार्यक्रम जरूर मिलेगा...इन कार्यक्रमों में धर्म की आड़ में अंधविश्वास भी परोसा जाता है...अंधविश्वास के लिए इस देश में कितनी गुंजाइश है इसका अंदाजा एक साल के भीतर अपने चैनल पर आने वाले धर्म और अंधविश्वास से जुड़े कार्यक्रमों को देखकर हुआ...चैनल में आए हुए मुझे करीब एक साल होने को आया हूं...इस साल के अंदर हमारे चैनल पर न जाने कितने ही पंडित और बाबा आए और चले गए...कभी कोई राशि देखकर भविष्य बताता है तो कोई रंगों के आधार पर लोगों का भविष्य तय करता है...एक मोटी रकम अदा करने के बाद ये लोग चैनल का आधा घंटा खरीदते हैं...टीवी पर दिखने के साथ-साथ अपने हुनर का प्रचार किया जाता है...ये लोग अपने पूरे परिवार के साथ समाचार चैनल के ऑफिस में पहुंचते हैं...अपने करीबी को टीवी स्क्रीन पर देखकर ये लोग फूले नहीं समाते...क्रीम, पॉउडर होने के बाद टीवी के पर्दे पर अपनी दुकान सजायी जाती है और सामान बेचना शुरु हो जाता है...गौर करने वाली बात ये कि अंधविश्वास परोसने वाले इन पंडितों और बाबाओं के कार्यक्रम में दूर-दूर से दर्शकों की कॉल्स आती हैं और लोग अपनी समस्या का समाधान जानने की कोशिश करते हैं...लोगों की समस्या सुनने के बाद कोई किसी रत्न को धारण करने की बात कहता है तो कोई किसी खास रंग के इस्तेमाल की बात करता है...हैरत इस बात की है कि अंधविश्वास में अंधे लोग इन पंडितों और बाबाओं की बातों को मानते भी हैं...अब इन लोगों का कितना सामान बिकता है...इन्हें इससे कितना फायदा और नुकसान होता है...इसके आंकड़े जुटाना तो मेरे लिए काफी कठिन है लेकिन इतना तो है कि धर्म की डिमांड है बॉस...अगर ऐसा नहीं होता तो इन पंड़ितों और बाबाओं की दुकानें नहीं चलती और ये न्यूज चैनलों को इतनी मोटी रकम अदा नहीं करते...


अमित कुमार यादव

3 comments:

M VERMA said...

बाबाओ को भी तो दुकान चलानी है

Jandunia said...

शानदार पोस्ट

Udan Tashtari said...

धन्य हैं बाबा लोग.